रामलला सिखलाते सबको, राम-राम ही कहना (गीत)
रामलला सिखलाते सबको, राम-राम ही कहना (गीत)
_______________________
रामलला सिखलाते सबको, राम-राम ही कहना
1)
राम-राम कहने भर से ही, शत्रु मित्र हो जाते
राम-राम जो कहते उनमें, कलुष दोष कब पाते
राम-नाम की रसधारा में, सारा जीवन बहना
2)
राम-राम कहने से हम में, त्याग-वृत्ति है आती
राम-राम कहने से लोभी, मन की गति मुरझाती
राम-नाम निष्काम भाव में, सारा जीवन रहना
3)
राम-राम कहने से सॉंसें, साध संतुलन आतीं
ओम ब्रह्म की गूॅंज ध्यान में, शत-दल कमल खिलातीं
राजमुकुट से बढ़कर बनता, वन मानव का गहना
रामलला सिखलाते सबको, राम-राम ही कहना
—————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451