रामलला
रामलला की छवि प्राकट्य के साथ ही
सूर्य देव भी कई दिवस के बाद
आज खुद को रोक न पाए
प्रकट हो गए राम को आशीर्वाद देने
ऐसा लगा मानो
वो भी किसी आराधना में तल्लीन थे
कि अब सदा के लिए
मेरे राम का निर्वासन मिटे ।
क्यों न हो ?
माँ कौशल्या ने भी तो
कई बार उनसे कहा ही होगा
कि हे जगती के पोषक
मेरे वंश के आधार
बार-बार मेरे राम को निर्वासन क्यों?
कभी ऋषि विश्वामित्र के साथ
कभी पितृाज्ञा से
और फिर आक्रान्ताओं की मदता से
मानती हूँ जितनी बार निर्वासित हुए
और अधिक श्री व शौर्य से
महिमा मंडित होकर लौटे
विपत्तियों ने उन्हें
और प्रखर व्यक्तित्व ही दिया।
पर युगों की तपस्या के बाद
मैंने जिन्हें अंक में पाया
उनके साथ मैं जीना चाहती हूँ
बस अब विछोह नही
अब मेरा लल्ला मेरी गोद में ही रहे।
जय कौशल्या नंदन🙏