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18 Jan 2024 · 1 min read

रामलला ! अभिनंदन है

स्वागत है, अभिनंदन है
“हे राम” ! तुम्हारा वंदन है
‘रामलला’ के स्वरूप के
मस्तक पे तिलक -चंदन है ।

आओ हे प्रिय ‘रामलला’ !
समूर्ण है स्वरूप- कला
योगी अरुण ने तुम्हें गढ़ा
कहता जैसा ‘रामायण’ है ।

हे रघुनंदन ! हे दशरथ नंदन !
कौशल्या के अतुल्य – कुंदन
हमारे शरीर में, सांसों में
तुम्हारे नाम का स्पंदन है ।

वशिष्ठ ने तुम्हे “राम” कहा
विश्वामित्र ने तुम्हें “ज्ञान” कहा
लल्ला – लल्ला सबने पुकारा
भारत का नयन- अंजन है ।

सरयू में समा गए थे तुम
सरयू से नहाकर आओ तुम
जन्मभूमि पर तुम विराजों
संसार में तुम्हारा गुंजन है ।

अयोध्या अब अयोध्या धाम है
जन -जन का यह तीर्थ क्षेत्र है
नव्य और भव्य मंदिर में
प्राण – प्रतिष्ठा का अनुष्ठान है ।

उत्सव का वातावरण है
चहु:ओर आनंद छाया है
कहीं हो रही है रामकथा
कहीं रामलीला का मंचन है ।

तुम विष्णु के अवतारी हो
तुम सबके तारण –
lहारी हो
तुम सबके उद्धारक हो
सर्वत्र पुरुषोत्तम का अर्चन है ।

भारत का अभ्युदय हो
सतत् उत्थान -उन्नयन हो
सभी स्वस्थ, घर- सुघर हो
कण- कण यहां का कंचन है ।

स्वागत है , अभिनंदन है
“हे राम”तुम्हारा वंदन है
‘रामलला’ के स्वरूप के
मस्तक पर तिलक चंदन है ।
***********************************
@रचना- घनश्याम पोद्दार
मुंगेर

Language: Hindi
244 Views
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