*रामराज्य में सब सुखी, सबके धन-भंडार (कुछ दोहे)*
रामराज्य में सब सुखी, सबके धन-भंडार (कुछ दोहे)
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1
रामराज्य में सब सुखी, सबके धन-भंडार
सबकी इच्छाऍं सभी, सदा हुईं साकार
2
उत्तर में सरयू बही, बहती सदा अ-पंक
स्वच्छ नीर गहरी नदी, लिए घाट अ-कलंक
3
रामराज्य में बैर कब, कहो पराया कौन
गाथा जिह्वा क्या कहे, होती रह-रह मौन
4
अल्प-मृत्यु होती नहीं, राजा का उपहार
रामराज्य में यम नहीं, असमय करें प्रहार
5
आपस में हिलमिल रहे, सब में प्रीति अपार
रामराज्य में नेह का, होता नित व्यवहार
6
सब शिक्षित हैं सब गुणी, सब जन ज्ञान-प्रधान
रामराज्य में पा रहे, सब गुरुओं से ज्ञान
7
रामराज्य में खल कहॉं, कपटी कहीं न एक
सबके मन सुंदर मिले, सब में भरा विवेक
8
सागर सीमा में रहा, उच्छ्रंखलता छोड़
रामराज्य में कब चला, सीमा को यह तोड़
9
वर्षा-खेती सब सही, फसलें सही प्रकार
रामराज्य में सब कृषक, हर्षित सौ-सौ बार
10
रामराज्य में कर रहे, सब जन पर-उपकार
औरों का धन देखकर, सबको खुशी अपार
11
रामराज्य में कर रहे, बिना भेद अस्नान
नदी-घाट सबके लिए, सब जन एक समान
12
हुए एक-पत्नीव्रती, रामराज्य में राम
पतिव्रतधारी नारियॉं, सीता-सदृश तमाम
13
रामराज्य में पूजते, सब जन गुरु-विद्वान
विनयशील सब का हृदय, रहित सदा अभिमान
14
रामराज्य में बैठ नत, राजा पाते ज्ञान
सदुपदेश देते दिखे, राजा को विद्वान
15
रामराज्य में कह रहे, राजा तुम्हें न रोक
जनमानस स्वातंत्र्य है, चाहे जब जो टोक
16
हरियाली छाई हुई, पेड़ों की भरमार
स्वच्छ दिखा पर्यावरण, रामराज्य का सार
17
तोते-मैना पढ़ रहे, राम-राम अभिराम
घर-घर प्रभु का हर जगह, रामराज्य में नाम
18
इंद्रिय सबके वश रहीं, सबके मन वैराग
रामराज्य में कब दिखा, पर-धन से अनुराग
19
राम भरत को दे रहे, संत-वृत्ति का ज्ञान
सब को सब कुछ ज्ञात है, लीला किंतु प्रधान
20
सबके मन संतोष है, सब निंदा से दूर
रामराज्य में तृप्त हैं, सबके मन भरपूर
21
रामराज्य में कर रहे, सब परहित का दान
पर-पीड़ा को देखकर, करते सभी निदान
22
सबका सुंदर स्वास्थ्य है, सबका स्वस्थ शरीर
रामराज्य में जन्म हो, रहते देव अधीर
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पंक = कीचड़
खल = दुष्ट
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451