*राजा राम सिंह चालीसा*
राजा राम सिंह चालीसा
(रामपुर रियासत के पितामह अमर शहीद राजा राम सिंह)
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1)
राजा राम सिंह थे शासक, राज्य कठेर कहाया
क्षेत्र मुरादाबाद-रामपुर , इसके अंदर आया
2)
राजा थे स्वाधीन वृत्ति के, सिर को नहीं झुकाया
स्वाभिमान से ऊॅंचा मस्तक, सदा आपका पाया
3)
मुगल बादशाह जहॉंगीर की, इच्छा रही अधूरी
कब कठेर हो पाया उसका, रही हमेशा दूरी
4)
चाह रहा था जहॉंगीर, कब्जा कठेर पर पाए
भूमि उर्वरा सुखी राज्य, अपने अधीन ले आए
5)
राजा राम सिंह की शुभ तलवार धार वाली थी
यह अजेय थी सारे जग में, अनुपम बलशाली थी
6)
जहॉंगीर के बाद बादशाह, शाहजहॉं जब आए
करने को विस्तार सल्तनत, मन ही मन ललचाए
7)
मिली हार लेकिन प्रयत्न में, शाहजहॉं को भारी
धरी रह गई हमला करने की सारी तैयारी
8)
एक अकेला सैनिक सौ-सौ, दुश्मन से लड़ता था
एक अकेला दुश्मन के सौ पर भारी पड़ता था
9)
यह कठेर था जहॉं राजपूती तलवार निराली
यह कठेर था जहॉं शौर्य, दिखता था डाली-डाली
10)
यह कठेर था बच्चा-बच्चा, जहॉं स्वाभिमानी था
यह कठेर था जिसका रण में, कब कोई सानी था
11)
यह कठेर था शाहजहॉं से, जिसने हार न मानी
यह कठेर था बलिदानों की, जिसकी रही कहानी
12)
सम्मुख जब तक चला युद्ध, राजा ने हार न पाई
शाहजहॉं ने लड़ा युद्ध, जब-जब भी मुॅंह की खाई
13)
रुस्तम खॉं सेनापति था, छल-बल का कुटिल खिलाड़ी
उसे पता था दलदल में, कैसे ले जाते गाड़ी
14)
पता लगाया उसने राजा, नित पूजा करते हैं
पूजा में वह मनोयोग से, ध्यान ईश धरते हैं
15)
राजा राम सिंह थे साधक, ध्यान-योग अभ्यासी
कभी न मुखमंडल पर उनके, छाई तनिक उदासी
16)
यह थे राजा ध्यान-योग में, सुध-बुध खो जाते थे
बोध इंद्रियों का तन में वह, तनिक नहीं पाते थे
17)
सॉंसों की लय सूक्ष्म रूप धर, प्रभु से उन्हें मिलाती
कहने को धरती पर होते, किंतु देह उठ जाती
18)
रुस्तम खॉं ने सोचा यह, कमजोर कड़ी पाई है
पूजा राजा की कमजोरी, दिखने में आई है
19)
तय कर लिया समय जब राजा पूजा को जाऍंगे
छल से हमला बोल, देह से सिर को कटवाऍंगे
20)
हा ! कठेर पर वक्र दृष्टि, शनि की जैसे छाई थी
सदियों से चल रही रियासत, खतरे में आई थी
21)
सूर्य अस्त हो गया समय से पहले तम छाया था
कुटिल इरादे लिए दुष्ट, रुस्तम खॉं चढ़ आया था
22)
पूजागृह में वह प्रविष्ट हो, ले तलवार गया था
ध्यान-योग का चमत्कार यह, उसके लिए नया था
23)
देखा राजा राम सिंह को, योगावस्थित पाया
सॉंस रोक बैठे थे राजा, वैरी रोके आया
24)
राजा को क्या पता चाल यह, किसने चली प्रबल थी
यह समाधि की चेतनता, अंतर्मन से निर्मल थी
25)
हा ! हा ! काटा मस्तक क्षण में, भू पर गया गिराया
यह स्वातंत्र्य-समर में राजा, का बलिदान कहाया
26)
नेत्र मुॅंदे थे राजा के, मुगलों का खौफ नहीं था
यह कठेर था नहीं जहॉं, मुगलों का अंश कहीं था
27)
जब तक राजा रहे मुगल कब आ कठेर पाए थे
जब भी लड़े हमेशा केवल, मुॅंह की ही खाए थे
28)
रो-रो पड़ा गगन क्या अब आजादी रह पाएगी
पराधीन क्या मुगलों की, भू हो कठेर जाएगी
29)
यह स्वतंत्रता की वेदी पर, चिर बलिदान अमर है
यह कठेर के राजा का, अद्भुत संघर्ष प्रखर है
30)
अनुयाई सब मिले कहा, राजा चिर याद रहेंगे
खो कठेर यदि गया, बचा उसको ही दिव्य कहेंगे
31)
नृप शहीद हो गए किंतु, पूरा कठेर कब पाया
रुस्तम-नगर अंश था केवल, जो कब्जे में आया
32)
रुस्तम-नगर नाम था, रुस्तम खॉं ने जो रखवाया
शाहजहॉं के भरे गए तब कान उसे बुलवाया
33)
बोले शाहजहॉं क्या रुस्तम-नगर उसे कहते हो
बोला रुस्तम क्यों शिकायतों में हजूर बहते हो
34)
पुत्र आपका है मुराद , उसका ही नाम बढ़ाया
यह कठेर का अंश, मुरादाबाद सिर्फ कहलाया
35)
बची रियासत उधर चले खेने नृप के अनुयाई
रो-रो पड़ते उन्हें याद, जब भी राजा की आई
36)
बचे अंश का नाम रामपुर, नामकरण कर डाला
राजा राम सिंह को यों, हृदयों में सब ने पाला
37)
जब तक नगर रामपुर का, जग में शुभ नाम रहेगा
राजा राम सिंह की जय, हर भारत-भक्त कहेगा
38)
सदा न्यायप्रिय धर्मप्राण, राजा का नाम चलेगा
जो शहीद हो गए देशहित, उनका दीप जलेगा
39)
मुगलों को पावन कठेर से, मिलती रही चुनौती
देशभक्त के रहते जो, बन पाई नहीं बपौती
40)
मातृभूमि के लिए कटे सिर, जहॉं गिने जाऍंगे
राजा राम सिंह गुण-ज्ञानी, याद वहॉं आऍंगे
41)
उनके पद-चिन्हों पर चल, अनुयाई कहलाऍंगे
देशभक्ति के भावों को, नभ-भर में फैलाऍंगे
42)
पूजा-ध्यान-ईश का वंदन, कभी नहीं छोड़ेंगे
नाता परम-पिता से तन्मय, होकर हम जोड़ेंगे
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997 615 451