Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2024 · 6 min read

*रामपुर रियासत के अंतिम राज-ज्योतिषी एवं मुख्य पुरोहित पंडित

रामपुर रियासत के अंतिम राज-ज्योतिषी एवं मुख्य पुरोहित पंडित राम रतन शर्मा जी
🪴🪴🍃🍃🍃🍃🪴🪴
लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451
————————————–
ज्योतिष एक विज्ञान है, जिसकी चमत्कारिक क्षमता के न जाने कितने प्रमाण भारत के इतिहास में उपस्थित हैं। ज्योतिष के प्रकांड पंडितों की इतिहास में कमी नहीं रही। उनकी भविष्यवाणियॉं अमिट हस्ताक्षरों की तरह कालखंड पर अंकित हो गईं ।
रामपुर रियासत भी भाग्यशाली रही कि यहॉं पर पंडित राम रतन शर्मा जी जैसे ज्योतिष के प्रकांड विद्वान उपस्थित रहे। पंडित राम रतन शर्मा जी की ज्योतिष विद्या में महारत का सबसे बड़ा प्रमाण तब देखने में आया जब उन्होंने रामपुर के तत्कालीन शासक नवाब रजा अली खान की पुत्री नवाबजादी खुर्शीद लका बेगम के जन्म से पहले ही उनकी जन्म कुंडली बनाकर यह रहस्य नवाब साहब को बता दिया कि जिस पुत्री का जन्म हो रहा है, उसका अंग बेकार रहेगा। यही हुआ और पुत्री के जन्म के बाद पंडित राम रतन शर्मा की भविष्यवाणी की सत्यता देखकर नवाब साहब दंग रह गए। हुआ यह था कि दरबार में बहुत से पंडितों ने अलग-अलग घोषणा की। बाकी ने कहा कि लड़का होगा तथा स्वस्थ होगा। लेकिन पंडित राम रतन शर्मा जी से जब पूछा गया तो उन्होंने नवाब साहब के लैटर पेड पर, जो उनके सामने रखा हुआ था, उठाकर कलम से भविष्य में जन्म लेने वाली खुर्शीद लका बेगम की जन्मकुंडली बनाकर यह लिख डाला कि नवाब साहब की संतान पुत्री होगी और उसका अंग ठीक नहीं होगा।
नवाब साहब ने पढ़ा और मौन हो गए। कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। कागज अपने पास रख लिया। जब बेटी हुई और वह जन्म से ही विकृत अंग हुई तो नवाब साहब को पंडित राम रतन शर्मा जी के ज्योतिष ज्ञान के प्रति भारी श्रद्धा उत्पन्न हो गई। उन्होंने पंडित जी को बुलाकर उनकी विद्वत्ता का सम्मान किया। जो जन्मकुंडली पंडित जी ने पुत्री के जन्म से पहले ही बना कर दे दी थी, उस पर नवाब साहब ने अपने हस्ताक्षर किए और प्रमाण स्वरूप पंडित राम रतन शर्मा जी को वह लेटर पैड पर लिखा हुआ विवरण वापस लौटा दिया। आज भी नवाब साहब का लेटर पैड का वह पत्र जिस पर जन्म कुंडली बनी हुई है और नवाब साहब के हस्ताक्षर अंकित हैं, उनके वंशजों के पास सुरक्षित है। समय के साथ कलम से बनाई गई जन्म कुंडली और नवाब रजा अली खॉं के हस्ताक्षर धुॅंधले हो गए हैं। लेकिन फिर भी वह एक इतिहास की गौरवशाली घोषणा कर रहे हैं। पंडित राम रतन शर्मा जी ने अपनी हस्तलिपि में उस पत्र का विवरण पत्र के साथ संलग्न किया हुआ था, जो काली चमकदार स्याही से लिखा होने के कारण काफी स्पष्ट पढ़ने में आ रहा है। पंडित राम रतन शर्मा जी ने लिखा था:-
“यह जन्म कुंडली पैदाइश से पेस्तर बनवाई। इस पर नवाब साहब के दस्तखत”
पेस्तर = पूर्व, पहले
पैदाइश = जन्म

उपरोक्त जानकारी पंडित राम रतन शर्मा जी के पौत्र पंडित अभय पाठक जी के द्वारा जब हमें दिनांक 23 जनवरी 2024 मंगलवार को प्राप्त हुई तब हमने गहरी रुचि लेकर तत्काल उनके साथ उनके घर पर जाकर जन्म कुंडली के पत्र को देखने की इच्छा प्रकट की। अभय पाठक जी सहर्ष तैयार हो गए। उनके घर जाकर हमने देखा कि वह पत्र एक शीशे के फ्रेम में जड़ा हुआ है। शीशा चटक गया है लेकिन विरासत को बहुत संभाल कर पौत्र के द्वारा रखा जा रहा है।

पंडित राम रतन शर्मा जी के पौत्र द्वारा जो जानकारियॉं प्राप्त हुईं ,उनकी पुष्टि हमने श्री शौकत अली खान एडवोकेट द्वारा लिखित “रामपुर का इतिहास” पुस्तक से भी की। इसके अनुसार खुर्शीद लका बेगम का जन्म 20 अप्रैल 1932 ईसवी को हुआ था। इस विवरण के अनुसार नवाबजादी खुर्शीद लका बेगम के जन्म के समय पंडित राम रतन शर्मा जी की आयु लगभग चालीस वर्ष बैठी, जो सर्वथा उचित है। (प्रष्ठ 64)
“रामपुर का इतिहास” में ही यह भी उल्लेख मिलता है कि खुर्शीद लका बेगम को पोलियो की बीमारी थी और उनके इलाज के लिए नवाब साहब 7 मार्च 1934 को आठ महीने के लिए यूरोप गए थे। इससे रोग की गंभीरता का पता चल जाता है। साथ ही यह भी पता चलता है कि यूरोप जाकर आठ महीने तक लंबा इलाज कराने के लिए जब नवाब साहब अपनी बेटी को लेकर विदेश गए, तब बेटी की आयु दो वर्ष से भी कम थी। (पृष्ठ 182 – 183)
इस तरह इस बात की पुष्टि होती है कि पंडित राम रतन शर्मा की ज्योतिष गणना, उनके द्वारा बालिका के जन्म से पूर्व ही बनाई गई जन्म कुंडली, उस पर लिखी गई भविष्यवाणी तथा नवाब साहब के हस्ताक्षर असंदिग्ध रूप से रामपुर में ज्योतिष शास्त्र की विरासत का एक गौरवशाली अध्याय है।
हमें चाह इंछाराम में पंडित राम रतन शर्मा जी के पौत्र पंडित अभय पाठक जी के घर के एक कमरे में पंडित राम रतन शर्मा जी तथा उनकी पत्नी के चित्रों के दर्शन करने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। पूछने पर पता चला कि पंडित राम रतन शर्मा जी की मृत्यु लगभग 60 वर्ष की आयु में सन 1952 ईस्वी में हुई थी। उस समय विक्रम संवत के अनुसार पौष कृष्ण एकादशी का दिन था। पंडित राम रतन शर्मा जी की पत्नी श्रीमती नारायणी देवी (अम्मा) के चित्र के नीचे जन्मतिथि 27- 12- 1892 ईस्वी तदनुसार संवत 1949 पौष शुक्ल अष्टमी मंगलवार तथा मृत्यु तिथि 18 अप्रैल 1972 ईसवी तद्नानुसार संवत 2029 प्रथम वैशाख शुक्ल पंचमी मंगलवार अंकित थी।
पंडित राम रतन शर्मा जी के पूर्वज नौ पीढ़ियों से ज्योतिष विद्या के कार्य में संलग्न रहे हैं। ज्योतिष विद्या के अध्ययन के लिए पंडित जी खुर्जा और काशी भी गए थे। आप मूलतः लोहा गॉंव के रहने वाले थे। यह मिलक (रामपुर) के निकट पड़ता है। पंडित जी रामपुर में चाह इंछाराम (निकट मिस्टन गंज) आकर बसे थे। आपके सुपुत्र पंडित प्रेम प्रकाश शर्मा जी भी पंडित प्रेम प्रकाश पाठक जी के नाम से ज्योतिष के अग्रणी विद्वान के रूप में रामपुर में जाने जाते थे।

पंडित राम रतन शर्मा जी ज्योतिष की गणनाओं में निपुण थे। वह यह भी कहते थे कि अगर कोई विपत्ति आती है और उसके समाधान के लिए दान करना अनिवार्य है तब दानदाता को अपनी हैसियत के अनुसार उचित दान करना चाहिए। तभी वह दान सार्थक कहलाएगा। एक बार नवाब साहब ने किसी समस्या के समाधान के लिए पंडित राम रतन शर्मा जी से सुझाव मॉंगा तब पंडित जी ने कहा कि एक कुंटल दाल, एक साड़ी तथा उस पर एक सोने की गिन्नी रखकर इस प्रकार कुल पच्चीस पंडितों को अगर दान में दिया जाएगा तो समस्या का समाधान संभव है। इस प्रकार का दान नवाब साहब की गरिमा के अनुकूल था। नवाब साहब ने ऐसा ही किया। परिणाम स्वरूप ऐसा करने में नवाब साहब को भी आत्मिक संतोष मिला तथा दान ग्रहण करने वाले व्यक्तियों को भी पर्याप्त सामग्री धनराशि के रूप में प्राप्त हो गई।
पंडित राम रतन शर्मा जी के पौत्र से ही यह भी ज्ञात हुआ कि जब महात्मा गॉंधी की मृत्यु के पश्चात उनकी चिता की भस्म दिल्ली से लाकर रियासत रामपुर में उनकी एक समाधि बनाए जाने का विचार नवाब रजा अली खान के मन में आया तो उन्होंने प्रमुखता से राजपुरोहित एवं ज्योतिषी पंडित राम रतन शर्मा जी से ही विचार विमर्श किया और उसके बाद पंडित जी की राय लेकर स्पेशल ट्रेन से दिल्ली गए थे और गॉंधी जी की भस्म लाकर रामपुर में समाधि बनाने में ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की थी। भस्म का कुछ हिस्सा कोसी नदी में प्रवाहित किया गया था। नाव में नवाब साहब तथा पंडित राम रतन शर्मा जी के अतिरिक्त कुछ गिने-चुने लोग थे।
पंडित अभय पाठक जी (जन्म 1954) बताते हैं कि प्रारंभ में गॉंधी समाधि एक छोटी-सी लकड़ी की बनी हुई सात्विक रचना थी। जिसके चारों तरफ जंजीरें लटकी हुई थीं । फिर बाद में उसके पुनर्निर्माण होते रहे।
पंडित राम रतन शर्मा जी को रामपुर रियासत में मिलने वाला शासकीय सम्मान नवाब रजा अली खान की उदार धार्मिक चेतना का जीता-जागता उदाहरण है। इससे यह भी पता चलता है कि ज्योतिष का विज्ञान एक सूर्य के समान है, जो अपनी आभा से संपूर्ण विश्व को आलोकित करता रहेगा। पंडित राम रतन शर्मा जी की स्मृति को शत-शत प्रणाम।

188 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

सावन
सावन
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
आधुनिक हिन्दुस्तान
आधुनिक हिन्दुस्तान
SURYA PRAKASH SHARMA
किशोरावस्था और आजादी
किशोरावस्था और आजादी
ललकार भारद्वाज
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर भी जीवन कलरव है।
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर भी जीवन कलरव है।
Neelam Sharma
अगर जल रही है उस तरफ
अगर जल रही है उस तरफ
gurudeenverma198
बिन काया के हो गये ‘नानक’ आखिरकार
बिन काया के हो गये ‘नानक’ आखिरकार
कवि रमेशराज
सम्मानार्थ प्रविष्ठियां आमंत्रित हैं
सम्मानार्थ प्रविष्ठियां आमंत्रित हैं
Mukesh Kumar Rishi Verma
मानवता के पथ पर
मानवता के पथ पर
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
सुरक्षित भविष्य
सुरक्षित भविष्य
Dr. Pradeep Kumar Sharma
शेर
शेर
Phool gufran
*बस मे भीड़ बड़ी रह गई मै खड़ी बैठने को मिली ना जगह*
*बस मे भीड़ बड़ी रह गई मै खड़ी बैठने को मिली ना जगह*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
" आँसू "
Dr. Kishan tandon kranti
😊भायला-भायलियों!
😊भायला-भायलियों!
*प्रणय*
अवधी गीत
अवधी गीत
प्रीतम श्रावस्तवी
या सरकारी बन्दूक की गोलियाँ
या सरकारी बन्दूक की गोलियाँ
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
आफताब ए मौसिकी : स्व मोहम्मद रफी साहब
आफताब ए मौसिकी : स्व मोहम्मद रफी साहब
ओनिका सेतिया 'अनु '
अनुनय (इल्तिजा) हिन्दी ग़ज़ल
अनुनय (इल्तिजा) हिन्दी ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
अधूरा एहसास(कविता)
अधूरा एहसास(कविता)
Monika Yadav (Rachina)
गज़ल बन कर किसी के दिल में उतर जाता हूं,
गज़ल बन कर किसी के दिल में उतर जाता हूं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लिये मनुज अवतार प्रकट हुये हरि जेलों में।
लिये मनुज अवतार प्रकट हुये हरि जेलों में।
कार्तिक नितिन शर्मा
कल को कल ही सोचना,
कल को कल ही सोचना,
sushil sarna
रिश्ते भूल गये
रिश्ते भूल गये
पूर्वार्थ
एक महिला तब ज्यादा रोती है जब उसके परिवार में कोई बाधा या फि
एक महिला तब ज्यादा रोती है जब उसके परिवार में कोई बाधा या फि
Rj Anand Prajapati
अभिनव छंद
अभिनव छंद
Rambali Mishra
श्रीराम
श्रीराम
सुरेखा कादियान 'सृजना'
वो कहते हैं कहाँ रहोगे
वो कहते हैं कहाँ रहोगे
VINOD CHAUHAN
“समझा करो”
“समझा करो”
ओसमणी साहू 'ओश'
तुम नादानं थे वक्त की,
तुम नादानं थे वक्त की,
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
ग़ुरूर
ग़ुरूर
सिद्धार्थ गोरखपुरी
!! बच्चों की होली !!
!! बच्चों की होली !!
Chunnu Lal Gupta
Loading...