*रामपुर की गाँधी समाधि (तीन कुंडलियाँ)*
रामपुर की गाँधी समाधि (तीन कुंडलियाँ)
“””””””‘”””'””””””””””‘””””””””””””””””””””””””
(1)
हुई रामपुर की धरा ,भारत- भर की शान
बापू की यादें बनीं, नवयुग की पहचान
नवयुग की पहचान , राख बापू की पाई
बेशकीमती चीज ,रजा खाँ की थी लाई
कहते रवि कविराय,जगे जयहिंद गान सुर
सबसे प्रथम विलीन, रियासत हुई रामपुर
(2)
होते नहीं नवाब तो , आती कैसे राख
सारे भारत में कहो, बनती कैसे साख
बनती कैसे साख, रजा खाँ की अगुवाई
गाँधीजी की याद , रामपुर में आ पाई
कहते रवि कविराय,राजशासक यदि सोते
बापू के अवशेष , रामपुर में क्या होते ?
(3)
भारत धन्य धरा हुई , धन्य रामपुर नाम
एक रियासत में बना ,पावन बापू धाम
पावन बापू धाम , देश भारत जय गाता
यह नवाब की सोच, हवा का रुख बतलाता
कहते रवि कविराय, नहीं यह सिर्फ इमारत
इसका था संदेश , रामपुर समझो भारत
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615 451