*रामनगर के विश्व प्रसिद्ध रिजॉर्ट*
यात्रा वृत्तांत
रामनगर के विश्व प्रसिद्ध रिजॉर्ट
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रामनगर उत्तराखंड का प्रवेश द्वार है। इसी को भारत के प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट पार्क का भी प्रवेश द्वार कहा जा सकता है। पहाड़ का सौंदर्य रामनगर शहर में प्रवेश करते ही दिखाई देने लगता है। ठंड का एहसास होता है। जिस तरफ नजर डालो, पहाड़ दिखाई देते हैं। विशुद्ध रूप से हिल-स्टेशन तो नहीं है, लेकिन हां रामनगर में पहुंचकर हिल-स्टेशन की अनुभूति अवश्य होती है। सड़कें भी हिल-स्टेशन का आभास देती हैं ।रामनगर में कोसी नदी बहती है। यहीं पर कोसी बांध (कोसी बैराज) है, जिसका दृश्य निहारने के लिए कोसी बांध के मार्ग में अक्सर पर्यटक रुक जाते हैं। कई बार विशाल जलाशय के साथ अपनी सेल्फी लेते हुए भी पर्यटक आपको दिख जाएंगे।
रामनगर तक पहुंचने का मार्ग मैदानी मार्ग है, लेकिन जब रामनगर से जिम कॉर्बेट की ओर चलते हैं तब इस रास्ते में लगभग एक सौ से ज्यादा रिजॉर्ट पड़ते हैं। यह रामनगर रिजॉर्ट के नाम से मशहूर हैं। यहीं पर पर्यटक रात्रि-विश्राम करते हैं और सुबह-सुबह जिम कॉर्बेट के पार्क में शेर, हाथी, हिरण आदि पशुओं को देखने के लिए निकल पड़ते हैं।
रामनगर के रिसोर्ट केवल जिम कॉर्बेट पार्क में घूमने के लिए ही उपयोग में नहीं आते। अब यह रिजॉर्ट एक दिवसीय पर्यटन से लेकर तीन दिवसीय पारिवारिक सामाजिक आयोजनों के लिए भी उपयोग में आते हैं। दो से तीन दिन तक के वैवाहिक कार्यक्रम रामनगर रिजॉर्ट में बड़ी संख्या में संपन्न होते हैं। चौबीस घंटे के लिए बहुत से यात्री रामनगर रिजॉर्ट पहुंचते हैं। प्रायः सभी रिजॉर्ट चहल-पहल वाले हैं। कुछ रिजॉर्ट तो ऐसे हैं जिनमें महीनों पहले बुकिंग भरी रहती है। रामनगर के स्थानीय लोगों के लिए यह रिजॉर्ट उनके स्थानीय पर्यटन का हिस्सा बन गए हैं, लेकिन सैकड़ों किलोमीटर दूर से पर्यटक रामनगर रिजॉर्ट में ठहरने का आनंद उठाने के लिए पहुंच रहे हैं। रामनगर रिजॉर्टों की मुख्य विशेषता इनका विशाल क्षेत्रफल है। हरियाली से युक्त वातावरण है। पहाड़ों की पृष्ठभूमि और सुंदर पेड़ इन रिजॉर्टों के मनोहारी प्राकृतिक सौंदर्य को द्विगुणित कर देते हैं।
प्रत्येक रिसोर्ट में कुछ दर्जन कमरे बने हुए हैं, जिनमें यात्री ठहरते हैं। कुछ ऐसे कमरे भी होते हैं, जो घर का ‘लुक’ देते हैं अर्थात उनके प्रवेश द्वार से भीतर पहुंचने पर ड्राइंग रूम, रसोई, डाइनिंग हॉल तथा तीन या चार बैडरूम भी होते हैं। संयुक्त परिवार वाले पर्यटकों के लिए रहने के लिए ऐसे घर जिन्हें कॉटेज अथवा विला कहते हैं, अधिक उपयुक्त रहते हैं। हमने भी ऐसे कॉटेज का आनंद उठाया है और अनुभव बहुत अच्छा रहा। रिसोर्ट के सभी कमरों/विला को एक दूसरे से जोड़ने के लिए घुमावदार सड़कें बनाई जाती हैं ।इन सड़कों के दोनों और पेड़-पौधे लगे होते हैं। अनेक बार कमरों की वाह्य दीवारों पर भी हरी घास या पेड़ पौधों की हरियाली रहती है। इस घुमावदार संरचना से रिसोर्ट में भ्रमण करते समय जंगल में भ्रमण करने की अनुभूति पर्यटकों को होती है।
रिसोर्ट में आधुनिक रेस्टोरेंट होते हैं, जहां विभिन्न प्रकार के शाकाहारी भोजन का प्रबंध रहता है। दसियों तरह के आइटम के साथ-साथ छोले-भटूरे और डोसा-सांभर नाश्ते में प्रायः मिलता है। कुछ आइटम किसी-किसी रिसोर्ट में मांसाहारी भोजन के भी देखने में आते हैं। उन पर हरे रंग के स्थान पर लाल रंग का प्रतीक चिन्ह लगा रहता है। भोजन कक्ष में साफ-सफाई का विशेष ध्यान देखा जा सकता है।
इन रिजॉर्टों की एक विशेषता इनमें स्विमिंग पूल का होना है। पूल का आकार चाहे छोटा हो अथवा बड़ा, लेकिन वह रिसोर्ट का हृदय-स्थल कहलाता है। वहीं से होकर हर तरफ के रास्ते गुजरते हैं। स्विमिंग पूल दिनभर नहाने और तैरने के लिए उपलब्ध रहते हैं। इनमें प्रवेश करने के लिए ड्रेस कोड होता है। इसके अलावा पूल के निकट स्नानगृह में आने के बाद ही पूल में प्रवेश मिलता है। अपनी तौलिया ले जाने की आवश्यकता नहीं है। सभी स्विमिंग पूलों में मोटी रूॅंएदार तौलिया बड़े साइज में निशुल्क उपलब्ध होती है।
कितनी देर चाहे कोई भी पूल में नहा सकता है। जिसे तैरना आता है, उसके लिए स्विमिंग पूल का आनंद कई गुना बढ़ जाता है। बच्चे पूल का आनंद लेते हैं। वह अपने साथ हवा भरे हुए रबड़ के ऐसे उपकरण ले जाते हैं जिसके कारण वह पानी में तैरते रहते हैं। पूल पर रिसोर्ट के कर्मचारी विशेष रूप से निगाह रखते हैं कि कोई डूबने न पाए। रिसोर्ट के इन स्विमिंग पूलों पर अपवाद रूप में ही सही लेकिन कई बार विवाह समारोह की हल्दी के कार्यक्रम भी आयोजित हो जाते हैं। इनका एक अलग ही रंग होता है।
एक सौ के लगभग यह रिजॉर्ट रामनगर से चलने पर सड़क के दाहिनी ओर स्थित हैं। दाहिनी और स्थित होने का मुख्य कारण यह है कि कोसी नदी इन रिजॉर्टों के अंतिम छोर पर बह रही है। गर्मियों के मौसम में भी नदी का बहाव रुकता नहीं है। सुबह-सवेरे रिसोर्ट के कमरे से निकलकर नदी के पास पहुंचने पर नदी के चलने की आवाज स्पष्ट ही नहीं बल्कि खूब तेज सुनी जा सकती है। पत्थरों के बीच से होती हुई नदी की धारा छलकते हुए पानी के उछाल को स्पष्ट रूप से लेखांकित कर देती है। देखने में यह बहाव बहुत तेज नहीं लगता लेकिन अगर उतरकर पत्थरों पर चलते हुए नदी की धारा में प्रवेश किया जाए तो तेज बहाव को महसूस किया जा सकता है। सभी रिजॉर्ट नदी की धारा से काफी पीछे होते हैं। उसके बाद भी बाढ़ की स्थिति में अपवाद रूप में कभी-कभी रिसोर्टों के भीतर नदी का पानी घुस जाता है। ऐसे में रिसोर्टों को भारी क्षति पहुंचती है। पर्यटकों के लिए ज्यादातर रिसोर्टों में नदी के तट से 20-30 फीट की ऊंचाई पर रेलिंग लगाकर नदी-दर्शन की व्यवस्था होती है। हमें केवल ‘रिवरव्यू रिट्रीट’ नामक रिसोर्ट ही एकमात्र मिला, जिसमें सहज रूप से चलते हुए नदी में प्रवेश करने की सुविधा प्राप्त थी। यह सौंदर्य-दर्शन अपने में अद्भुत होता है।
रामनगर से जिम कॉर्बेट जाते समय एक ओर रिसॉर्ट हैं तथा दूसरी ओर अनेक प्रकार के भवन हैं। कुछ जगह खाली हैं। एक स्थान पर ‘जी.आई.सी., ढिकुली’ लिखा हुआ था, जिसका अभिप्राय संभवतः गवर्नमेंट इंटर कॉलेज, ढिकुली होगा। स्कूल की बाहरी दीवारों पर पढ़ाई से संबंधित सुंदर चित्रकारी देखने को मिली। जी.आई.सी. के सामने ही डाइनर्स रेस्टोरेंट है।
रामनगर का इतिहास कितना पुराना है, यह कहना कठिन है। 1850 ईसवी में ब्रिटिश कमिश्नर सर हेनरी रामसे ने रामनगर को स्थापित किया तथा उनके नाम पर इस नगर का नाम रामनगर पड़ा। 1936 में जिम कॉर्बेट पार्क की स्थापना ने रामनगर के महत्व को और भी बढ़ा दिया। रामनगर का संबंध गर्जिया देवी के मंदिर से भी है। जो लोग रामनगर आते हैं, वह ऊंची पहाड़ी पर स्थित गर्जिया देवी के मंदिर में सीढ़ियां चढ़कर अवश्य दर्शन करने के लिए जाते हैं। गर्जिया देवी के मंदिर की पुरातनता का आकलन असंभव है।
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451
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संदर्भ: यह लेख 9 एवं 10 जून 2024 को रिवरव्यू रिट्रीट रिसोर्ट, रामनगर, जिम कॉर्बेट उत्तराखंड में ठहरने तथा उससे पूर्व भी रिसोर्टों के भ्रमण के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें विकिपीडिया से प्राप्त आंकड़ों की मदद भी ली गई है।