**** रामदेव को जबाव
****** रामदेव को जबाव ******
खुद सक्षम ना हो सके , चिढते यूं ही रोज !
बेचारे ना खा सके , मर्दो वाला भोज !!
मर्दो वाला भोज , जलन पत्नि वालों से !
किलस रहे कुछ लोग , बस यूं ही सालों से!!
कह “सागर” कविराय , बुद्धि इनकी सटयायी!
हो जाता मुंह बन्द , जो मिल जाती लुगायी !!
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बैखोफ शायर/गीतकार/लेखक
डाँ. नरेश कुमार “सागर”
05/11/18 ………..9897907490