*रामचरितमानस अति प्यारा (चौपाइयॉं)*
रामचरितमानस अति प्यारा (चौपाइयॉं)
1
रामचरितमानस अति प्यारा।
सब ग्रंथों से अतिशय न्यारा।।
इसमें गीता ज्ञान समाया।
वेद उपनिषद इसमें छाया।।
2
राम कथा तुलसी ने गाई ।
मानवता सुनकर हर्षाई ।।
अवतारी प्रभु राम कहाए।
कष्ट विश्व के हरने आए।।
3
दुष्टों से आ गए बचाने।
सज्जनता फिर जग में लाने।।
राम-नाम प्रभु का सुखदाई ।
जीवन की सद्वृत्ति बताई ।।
4
वन में प्रभु हॅंस-हॅंसकर जाते।
सुख-दुख मन में एक बताते।।
राम-कथा में सीता पाते ।
देखा पति का साथ निभाते ।।
5
देखा यह लक्ष्मण-सा भाई ।
चला राम का हो अनुयाई ।।
भरत राज्य-सत्ता को त्यागे।
इनके सम कब पीछे-आगे ।।
6
चरण-पादुका राज कराती।
कथा अनोखी हरि की गाती।।
सागर एक छलॉंग लगाए।
हनुमत के सम और न पाए।।
7
सागर सौ योजन को साधा।
इनके सम्मुख टिकी न बाधा।।
सीता से श्री राम मिलाए।
चूड़ामणि को लेकर आए।।
8
लक्ष्मण जी के प्राण बचाए।
संजीवनी रात में लाए ।।
प्रभु ने अभिमानी रिपु मारा ।
दस सिर लिए दशानन हारा।।
9
रामराज्य जग में यों आया।
यहॉं नहीं दुख की कुछ छाया।।
रामराज्य में जन वैरागी ।
एक दूसरे के अनुरागी ।।
10
धन्य-धन्य तुलसी तुम गाई।
टीका श्री पोद्दार बनाई।।
युग-युग तक आभार तुम्हारा।
ऋणी रहेगा यह जग सारा।।
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451