बेसिर पैर की रामकथा और…रामखोर-सह-दूरदर्शी(!) ब्राह्मण लेखक / musafir baitha
राम राजा है और भगवान भी!
सीता राम की पत्नी है और भगवान भी!
बकिये फैमिली मेंबर लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न आदि भगवान नहीं हैं!
लक्ष्मण भगवान नहीं है, वह एक ओर एक भगवान का भाई है तो एक भगवान का देवर!
शिव भगवान है!
शिव भगवान के धनुष को सीता भगवान के पति राम ने स्वयंवर में तोड़ा जिसे रावण उठा भी न सका, जबकि सीता अपने घर में रखे उस धनुष को अपने बाएं हाथ से उठाकर झाड़ू बुहारू किया करती थी!
सीता स्वयंवर में आया कोई भी राजा या राजकुमार धनुष को उठा भी न सका, इतना भारी था वह और सीता इतना बलशाली कि आराम से उठा सकती थी! राम तो और अधिक बलवाला ठहरा, उसे तोड़ भी डाला, पेड़ से आम तोड़ने जैसी आसानी से!
यह धनुष पता नहीं कबसे और क्यों राजा जनक के घर रखा हुआ था!?
उधर, देवी सीता को एक मनुष्य एवं उसके देवर लक्ष्मण ने अपनी खींची लकीर की हद न लांघने की हिदायत दी, हिदायत अनसुनी हुई और भगवानिन सीता का एक नामी बलवान राक्षस रावण ने हरण कर लिया।
*…रामखोर-सह-दूरदर्शी ब्राह्मण लेखक कितने उर्वर मस्तिष्क थे, उनकी रची यह और अनेक अन्य बेसिरपैर की कथाएं आज के बुद्धिजीवी भी भकोस रहे हैं।
विवेकरहित विज्ञान का युग ही भारत में आ पाया है, कितनी कारुणिक एवं दयनीय स्थिति है यह?