राबता
राबता
तेरा मुझसे राबता है कोई
के रातों में,नींदों में ख़्वाबो में,
चाँद की सफ़ेद दीवारों पर
तेरी सूरत की मूरत दिखाई देती है मुझे।
तेरा मुझसे राबता है कोई
के ख़यालो में,यादों में,वादों में,
अरमानों की रेशमी पतवारों पर
तेरे क़दमो की कश्ती बहती दिखाई देती है मुझे।
तेरा मुझसे राबता है कोई
के राहों में,सरायों में,मंज़िलो में,
सुनसान,वीरान,अंजान रास्तो पर
तेरे साये की रौशनी,रौशन करती रहती है मुझे।
तेरा मुझसे राबता है कोई
के हवाओं में,फ़िज़ाओं में,घटाओं में,
कायनात की अनगिनत अप्सराओं में
तेरी अदाओं की झलक दिखाई देती है मुझे।
तेरा मुझसे है राबता,तेरा मुझसे है राबता!
सोनल निर्मल नमिता