राधे
कुंडलिया
गाते मंगलगीत सब, ढोल मंजीरा साज।
बरसाने में धूम है, झूम रहा जग आज।
झूम रहा जग आज, बधाई गाते न्यारे।
प्रकट हुई थीं मात, राधिका कहते सारे।
राधा जी के साथ, प्रेम कान्हा का पाते।
मुदित हुआ संसार, गीत राधे का गाते।।
डाॅ सरला सिंह “स्निग्धा”
दिल्ली