राधिका छन्द
[ 12/09/2020]
राधिका छन्द, 13,9 =22
प्रथम प्रयास,
यति से पहले त्रिकल ओर बाद में त्रिकल
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कुछ अपनो की ये बात, भरो तुम मन में ।
कुछ तो दुनियां में नाम, करो जीवन में ।
मत सोंचो तुम वो बात, अभी कह डालो ।
पहचान बने कुछ खास, यही कर डालो ।
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मैं परदेशी हूँ आज, जरा बतलाले ।
तू अपनी सखियां आज, यहीं बुलवाले ।
कल जाऊंगा मैं चला, धीर धर लेना ।
प्रिय होना नही उदास, सदा सुख लेना ।
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अब औरों का मैं बोझ, नहीं बन सकता ।
खुद अपना कारोबार, सही कर सकता ।
जीवन यापन भी ठीक, कहीं कर सकता।
जो बनना चाहें आज, वही बन सकता ।
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मेरे जीवन के आप, सदा रखवाले ।
कर मेरा बेड़ा पार, प्रभू मतवाले ।
जब अटके जीवन नाव, सहारा देना ।
जब देखूं तेरी वाट, प्रभु सुध लेना ।
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वह अलवेली है नार, करें कुछ बातें ।
उसके है नयन कटार, नहीं बच पाते ।
कुछ प्यासे उसके नैन, मुझे तरसाते ।
हम मीठी उससे बात, नहीं कर पाते ।
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स्वरचित ✍️
अभिनव मिश्रा
( शाहजहांपुर)
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