राधा श्याम
चित्राधारित रचना
मापनी – 2212 2212
अंत 212
राधा निराली सुंदरी,
पकड़े मदन का हाथ रे।
गोपी बनी है राधिका ,
अनुपम मुरारी साथ रे।
कर मुरलिया सुर साध के,
मीठी बजावे तान रे।
छम-छम बजी पैंजनी,
मधुवन बना है शान रे।
तू शक्ति है घन श्याम की,
बजती हृदय सुख झांज रे।
नित वंदना कर माधुरी,
जपती सुबह नित सांझ रे।
पी प्रेम प्याला नाम का,
बन गई राधा बावरी।
कान्हा बने है राधिका,
राधा बनी है सांवरी।
माने सभी संसार में,
है श्याम-श्यामा नाम रे।
छाई प्रेम की मालिका,
पूनम भरी इस रात में।
ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश