राधा मीरा रुक्मणि
राधा के घनश्याम हैं,तो मीरा के श्याम।
लेकिन रुक्मणि के लिये, मोहन चारों धाम।।
मोहन को माना पिया,भक्ति भाव के साथ।
मीरा जोगन बन गईं , इकतारा ले हाथ।।
वंशी सुनकर श्याम की, राधा सुध -बुध खोय।
फिर क्यों ये सौतन लगे, जान न पाये कोय।।
28-08-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद