राधा के पैरों के निशान
?
* राधा के पैरों के निशान *
जो चाँद – तारे न रहे
हवा भी इक दिन रुक गई
खो जाएंगे तब दिन और रात
जो भी होंगे उस घड़ी
तेरा नाम लेंगे मेरे नाम के साथ
जो चाँद – तारे न रहे . . . . .
जो कभी वक्त पत्थर हो गया
दरख़्त ऊँचे – लम्बे और घने
रहेंगे पंछियों के बिना
इक तेरा दिल इक मेरा दिल
फिर भी रहेंगे साथ – साथ
जो चाँद – तारे न रहे . . . . .
उलझनों – पहेलियों का मारा हुआ
जो कहीं मैं रुक गया
कहेंगे लोग जाने क्या और क्या
घड़ी सलोनी के समय
बैठेंगे जुड़ – जुड़कर के साथ
जो चाँद – तारे न रहे . . . . .
न चाँद की तू चाँदनी
न फूलों जैसा तेरा रूप है
घड़ी – पलों में दोनों पकड़ेंगे राह
तेरी सुगंध उष्मिल – छुअन
मेरी सांसों में रहेंगे सदा – सदा
जो चाँद – तारे न रहे . . . . .
गंगा – स्नान करेंगे
एक ही कलश में बैठकर
जीवन – ताप सब होंगे विदा
राधा के पैरों के निशान
ढूंढेंगे लोग आसपास
जो चाँद – तारे न रहे . . . . . !
(यमुना किनारे कृष्ण गोपियों संग रासलीला कर रहे हैं । अकस्मात् गोपियां देखती हैं कि कृष्ण उनके बीच नहीं हैं । वे ढूंढने निकलती हैं तो देखती हैं कि दो जोड़ी पैरों के निशान एक ओर को जा रहे हैं । गोपियां जान जाती हैं कि कृष्ण अकेले नहीं हैं । आगे जाकर देखती हैं तो एक जोड़ी पैरों के निशान लुप्त हो जाते हैं । वे जान जाती हैं कि राधा ने कहा होगा कि मैं थक गई हूँ । तब कृष्ण ने राधा को गोद में उठा लिया होगा ।
कृष्ण की सभी लीलाएं उनकी नौ वर्ष की आयु तक की हैं ।)
वेदप्रकाश लाम्बा ९४६६०-१७३१२