राधा-कृष्ण
चित्राधारित रचना
राधा-कृष्ण
मात्रा भार 16-12
शरद पूर्णिमा रात सुहानी, गिरधर मदन गोपाल।
अपनी राधा संग नाचते, दे-दे पग- कर ताल।।
काया लचक रही राधा की, झूमती बेला डाल।
अलकें -पलकें भी घिर- घिर के, डालते मुख पर जाल।।
मुरली मनोहर तज बांसुरी, डाले भुजा के जाल।
सलोनी प्रियतमा के मुख को, चूमे नंद के लाल।
निशा सुहानी शशि को देखें, छुप-छुप करती सवाल।
कान्हा संग होते दूर हूं ,राधा मचावे धमाल।।
मैं कारी अंधियारी बनी, ईश्वर की अजब चाल।
रूप सौंदर्य कुछ नहीं दिया, हिय में उठते मलाल।।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश