राधा का विरह
#गीतिका छंद#
गीतिका चार पदों का एक सम-मात्रिक छंद है. प्रति पंक्ति 26 मात्राएँ होती हैं तथा प्रत्येक पद 14-12 अथवा 12-14 मात्राओं की यति के अनुसार होता है, पदांत में लघु-गुरु होना अनिवार्य है.
यहाँ पर गीतिका छंद का विधान है-
2122212, 22122212
श्याम तेरी आस में,
राधा बिचारी यूँ जले।
एक गोपी प्रीति में,
आशा बँधाए यूँ चले॥
नैन डूबे नीर में,
देखो बटोही बाट में।
देख कान्हा खो गई,
मुस्कान तेरी याद में॥
एक रैना जा रही,
दूजी चली आती रही।
मास बीते जा रहे,
पाती मिली तेरी नहीं॥
बाँध डोरी प्रीत की,
ढोती रहूँगी याद मैं।
जन्म चाहे हो कई,
कान्हा रहूँगी साथ मैं॥
सोनू हंस