रात
रात
कभी-कभी
करवटें बदलते
गुजर जाती है रात
कभी बिस्तर पर
जाते ही
ले लेती हैं नींद
आगोश में
कभी पहाड़-सी
लगती है रात
कभी होती नहीं
नींद पूरी
और गुजर जाती है रात
हर रात की
अलग है विशेषता
-विनोद सिल्ला©
रात
कभी-कभी
करवटें बदलते
गुजर जाती है रात
कभी बिस्तर पर
जाते ही
ले लेती हैं नींद
आगोश में
कभी पहाड़-सी
लगती है रात
कभी होती नहीं
नींद पूरी
और गुजर जाती है रात
हर रात की
अलग है विशेषता
-विनोद सिल्ला©