रात है यह काली
रात है यह काली,
और नैन बरस रहे।
सत्य सुनने को नहीं खाली,
हम कहने को तरस रहे।।
आग लगा कर वो हंसते है,
और हम खा रहे है गाली।
शूल भरे अब जीवन के रस्ते है,
मजा लेकर वो बजा रहे ताली।।
हमने उनका क्या बिगाड़ा,
सदा चाही खुशहाली।
अपनो ने ही हमें लताड़ा,
कैसी आई यह रात काली।।
जी रहे है जिम्मेदारी के लिए,
मुस्कान भी लिए है जाली।
जला रखें है उम्मीद के दिए,
यह रात है बड़ी काली।।
किए है हमने बड़े बड़े संघर्ष,
भूख के लिए खाई है गाली।
जब मिला है थोड़ा हर्ष,
रात आई है बड़ी काली।।
अपने लिए हम जिए नहीं,
उनकी ही खुशियां संभाली।
कह रहें है हम बात सही,
वो सुनने को नहीं है खाली।।
अंतर्मन टूट रहा पल पल,
पी रहें है विष की प्याली।
अविश्वास का है दलदल,
कोई दिखा दे रात उजाली।।
—— जेपीएल