रात सर्द सी है ।
रात सर्द सी है ..जगा कर क्या करोगे
चेहरा दिखा भी दो …छिपा कर क्या करोगे
तुम्हारे ख़त तो हमें मुहजबानी याद है
अब भला इसे जला कर क्या करोगे
अपने दिल से निकालने की कसम खायी थी न
अब मुझें तुम दिल से लगाकर क्या करोगे ।
– हसीब अनवर
रात सर्द सी है ..जगा कर क्या करोगे
चेहरा दिखा भी दो …छिपा कर क्या करोगे
तुम्हारे ख़त तो हमें मुहजबानी याद है
अब भला इसे जला कर क्या करोगे
अपने दिल से निकालने की कसम खायी थी न
अब मुझें तुम दिल से लगाकर क्या करोगे ।
– हसीब अनवर