रात
रात ©
(बाल कविता )
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रात अँधेरी कारी – कारी
खो गयी कहीं सारी उजयारी
तारों की टिम -टिम है जारी
चाँद का शासन है अब भारी |
अब आ गयी हैं सोने की बारी
दे दो मेरी मखमली चद्दर प्यारी
देखूंगी सपनों में परियां न्यारी
और दुनिया उनकी अनोखी सारी |
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स्वरचित
सह मौलिक
लेखिका :-
©✍️सुजाता कुमारी सैनी “मिटाँवा”
लेखन की तिथि :-28 मई 2021