रात गुज़र गयी
उसका शिकवा क्या जो बात गुज़र गयी
मेरी नींद तेरे ख़्वाबों के साथ गुज़र गयी
इन आँसुओं का तुमसे गिला क्या करते
इससे पहले भी कई बरसात गुज़र गयीं
चाँदनी के मुंतज़िर रहे चिराग़ भी न जलाए
चाँद आँगन में आते आते रात गुज़र गयी
उसका शिकवा क्या जो बात गुज़र गयी
मेरी नींद तेरे ख़्वाबों के साथ गुज़र गयी
इन आँसुओं का तुमसे गिला क्या करते
इससे पहले भी कई बरसात गुज़र गयीं
चाँदनी के मुंतज़िर रहे चिराग़ भी न जलाए
चाँद आँगन में आते आते रात गुज़र गयी