रात का पैगा़म
रात आने के साथ एक पैगा़म लाती है।
हर निशा पश्चात सुनहरी सुबह आती है।
चाँद का मोल भी तो रात से ही होता है।
दिन के उजाले में रौशनी छिप जाती है।
भयभीत न हो अगर दौर कठिन है थोड़ा।
चुनौतियाँ जय का मार्ग प्रशस्त बनाती है।
शशि “मंजुलाहृदय”