रात काली या अंधेरी हो यदि तूफान भी
२१२२ २१२२ २1२२ २१२
रात काली या अंधेरी हो जटिल तूफान भी।
मंजिलों से दूर रहते हैं नहीं इंसान भी।।
मार्ग चाहें हों कठिन पर
वो कभी थकते नहीं ।
सामने पर्वत अचल हो
वो कभी रुकते नहीं ।
लौह सी मजबूत उनकी है सबल जूबान भी।
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जूझते नित जलजलों से
हाथ में दीपक लिए ।
और संकट के सभी पल
दूर अपने से किए ।।
भागता है दूर उनसे वक्त का शैतान भी।।
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रोक दे जो रथ विजय का
वक्त की औकात क्या ।
कर्मपथ पर अग्रसर नित
रास्ता गढते नया ।
और खुद रखते सुरक्षित देश का सम्मान भी।
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