रात्रि पहर की छुटपुट चोरी होते सुखद सबेरे थे।
रात्रि पहर की छुटपुट चोरी होते सुखद सबेरे थे।
चौकीदार रखे जो हमने झूंठे प्रखर लुटेरे थे।
भावुक होकर निर्णय लेते वही भूल दोहराते हैं।
पढ़ी कहावत बचपन भूले चोर- चोर मौसेरे थे।।
-सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर ‘