रातों पर अब कोई शिकवा नहीं है
रातों पर अब कोई शिकवा नहीं है
दिन में भी अब राह दिखता नहीं है
जो मोल था सरल किरदार का…,
उस मोल पर वह बिकता नहीं है !!
✍दीपक सरल
रातों पर अब कोई शिकवा नहीं है
दिन में भी अब राह दिखता नहीं है
जो मोल था सरल किरदार का…,
उस मोल पर वह बिकता नहीं है !!
✍दीपक सरल