राणा
सवैया टाइप धुन
एक सलाह
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1
बोल नहीं अलगाव के बोल,
जो प्रेम मिटे पड़े देश से जाणा।
शायर है बस शायर ही रह,
ना बन व्यर्थ सियासती स्याणा।
राम ने काग को माफ किया,
बस दंड दिया है बनाकर काँणा।
माफ करें तुझे माँग ले माँग ले ,
योगी से माफी मुनब्बर राणा
2
लाखों से अमृत मान मिला,
अब हाथ हलाहल पी न मरो रे।
हिंदु व मुस्लिम भाई समान ,
दिलों में घृणा का न भाव भरो रे ।
खाक बनो लपटों लिपटे वह,
आग लगाने से थोड़ा डरो रे ।
या फिर शौक से बिस्तर बाँध,
प्रदेश को छोड़ पयान करो रे ।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश