” राज “
” राज ”
राज का राज मीनू तुम्हें बताए
इसी पर ही कविता लिख जाए
बयां हाल ए दिल वह कर पाए
सिर आंखों पर राज को बिठाए,
मुश्किल घड़ी में मेरा साथ निभाए
दुःख में मेरे वह भी तो रो जाए
सुख में मेरे संग खूब हंसी दिखाए
पत्नी धर्म वह बखूबी निभाए,
सपनों के मेरे वह पंख लगाए
प्यार के ईंधन से मुझे उड़ाए
सफलता पर मेरी वह लहराए
गर्वित होकर मुझसे इठलाए,
मेरे साथ से वह मचल जाए
चमचमाते नयनों से मुझे रिझाए
हर जरूरत मेरी पूरी कर जाए
बिन बोले जज्बात समझ जाए,
प्यारा सा एहसास मुझे दिलाए
मीनू कहकर जब वह मुस्कुराए
शांतअदाओं पर मीनू वारी जाए
नाम लेकर राज का खूब इतराए।
Dr.Meenu Poonia