राज की बात
विमोहा छंद
कौन सी शान है
देश का मान है
ज्ञान की थी व्यथा
कृष्ण गीता कथा ।
युद्ध की भूमि है
जिंदगी धूप है
ज्ञान की गंग ही
पार्थ साथी कही।
कौन जिंदा बचा
युद्ध ऐसा रचा
राज की बात है
सूर्य से ही रात है ।
कृष्ण पूजा करों
धर्म आगे करों
जीव पाता चला
स्वर्ग ऊँचा भला ।
कौन हूँ कौन हूँ
आज भी मौन हूँ
बात है काम की
जीव के राज की ।
नाम से काम है
देह तो धाम है
सूक्ष्म से सूक्ष्म जो
आप की जान जो।
बात है आप की
नीच सी ऊँच की
ज्ञात है ज्ञान है
झूठ ही शान है ।
भूल की राह में
कर्म से धर्म में
आज भी खोज है
बात में राज है
राजेश कौरव सुमित्र