राज का अंश रोमी
शरारत भरी उड़ान का राजा
शैतान कहूं या मैं चुप रहूं
राज का ही तो अंश है यह
रोमी के बारे में और क्या कहूं,
बेशकीमती खजाना है तूं मेरा
तेरी खातिर माया को परे धरूं
जब भी थोड़ा हो जाता नाराज
शीघ्र ही भागकर बाहों में भरूं,
हर छोटी सी बात पर नाराजगी
नाज नखरे तेरे सारे सह जाऊं
गुस्से से कभी तिमतिमाए तो
प्यार से मैं राजा बाबू बुलाऊं,
शर्मिला है थोड़ा पापा के जैसे
मम्मी के आंचल में मुंह छिपाले
सोऊंगा तो मैं मम्मी के पास ही
दीदी चाहे कितना शोर मचाले,
गाड़ियों वाले खिलौनों का शौकीन
बस मॉल और मेले में घूमना चाहे
मम्मी के हाथ का खाना लगे अच्छा
नए कपड़ों में इठलाकर मुझे दिखाए।
Dr.Meenu Poonia