*राज-ए-हुस्न*
यूं राज-ए-हुस्न कब तक छुपाओगे मुझसे
हुस्न की बारीकियां बेहतर जानते तुझसे
कत्ल ना कर खंजन सी आँखों के ख़ंजर से
दीवाना मरता है भला कोई बेहतर मुझसे ।।
?मधुप बैरागी
यूं राज-ए-हुस्न कब तक छुपाओगे मुझसे
हुस्न की बारीकियां बेहतर जानते तुझसे
कत्ल ना कर खंजन सी आँखों के ख़ंजर से
दीवाना मरता है भला कोई बेहतर मुझसे ।।
?मधुप बैरागी