राजा वीरभद्र सिंह जी को श्रद्धांजलि
आज सुबह ही सूर्यास्त हो गया
देवभूमि का शेर आज सो गया
विश्वास नहीं हो रहा जाने का उसके
रो रहा है दिल ये क्या हो गया।।
सारा जीवन समर्पित था उनका
देवभूमि की तरक्की के लिए
दुखी है सब आज नहीं है वो साथ हमारे
जाने छोड़ गए है हमको किसके सहारे।।
राजा तो बहुत हुए यहां पर
वो एक ही जनता के दिलों पर राज करते थे
कैसे प्रदेश की तरक्की हो
वो हर वक्त इस बात की चिंता करते थे।।
वो नेता नहीं महानायक थे
हिमाचल की तरक्की के नायक थे
वो पूरे प्रदेश की जनता के
दिलों में बसने वाले जननायक थे।।
शासक नहीं वो सेवक थे
जनता के दिल की बात समझते थे
हर फरियादी की समस्या सुनकर
अपने हाथों से उसके आंसू पोंछते थे।।
विरोधी भी उनका लोहा मानते थे
तारीफ उनकी दबी ज़ुबान से करते थे
करते थे वो काम, जो ठान लेते थे
लड़े आखिरी पल तक ऐसे एक योद्धा थे।।
पहुंचाने पर आज हमें शिखर पर
प्रदेश का जन जन कृतज्ञता प्रकट करता है
देवभूमि के ऐसे महान स्पूत को
सारा हिमाचल श्रद्धासुमन अर्पित करता हैं।।
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