“ राजा और प्रजा ”
राजा जब राजा का कार्य न करे,तो प्रजा बहुत परेशान होती है,
डॉक्टर जब डॉक्टर का काम न करे, तो जनता हैरान होती है I
चाटुकारों के सहारे चलने वाला राजा कमजोर साबित ही होता,
जैसे कम्पाउण्डर के सहारे चलने वाला डॉक्टर असफल होता,
तब तो चालाक शिकारी बहुत ही ताकतवर एवं मजबूत होता,
फिर प्रजा का रखवाला बस केवल उसका “ रब ” ही होता I
राजा जब राजा का कार्य न करे,तो प्रजा बहुत परेशान होती है,
सफाई वाला सफाई का काम न करे तो जनता हैरान होती है I
बड़े -२ राजा, बादशाह यह जमीन छोड़कर चले गए,
पर जाते- २ इस देश को यह एक नसीहत देकर गए ,
“वतन की दौलत” को इसी वतन में रखने को कह गए,
“ धरोहर ” को सभांलने को कहते हुए प्राण छोड़ गए,
राजा जब राजा का कार्य न करे , तो प्रजा बहुत परेशान होती है,
किसान जब किसानी न करे तो जनता भूख से बेहाल होती है I
“माँ भारती” ने सिसकते हुए अपना दुखड़ा रो-२ कर सुनाया,
अपनी गुलामी से निकलने का किस्सा “ राज ” को बतलाया,
मेरे इस आँगन की “धरोहर” को संभालकर रखने को सुझाया,
मेरे सभी बच्चों को तरक्की दे उसे अपना सच्चा “बेटा” बताया,
राजा जब राजा का कार्य न करे,तो प्रजा बहुत परेशान होती है,
डॉक्टर जब डॉक्टर का काम न करे, तो जनता हैरान होती है I
देशराज “राज”