राजनैतिक गिरावट
राजनैतिक गिरावट
राजनीति आज बिलकुल बेशर्म हो गई,
सत्ता प्राप्ति ही एकमात्र धर्म हो गई।
देश सेवा तो बस नारों की ही बात है,
हर क्षण धन कमाने की ही घात है।
राजनेता इतिहास नया अब लिखने लगे हैं,
खुलम-खुला बेशर्मी से बिकने लगे हैं।
सत्ता पाना सेवा नहीं इनका धंधा हो गया,
सत्ता प्राप्ति का खेल कितना गंदा हो गया।
पतन हो गया राजनीति का संशय नहीं है,
नैतिकता जैसे राजनीति का विषय नहीं है।
वेलफ़ेयर स्टेट अपना गुण-धर्म छोड़ रही है,
देश में स्वायत संस्थाएँ दम तोड़ रही हैं।