राजनीति
“कुर्सियां हो गयी जीत दमदार की,
ऐसे जनता बनी नींव जनाधार की।
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“भीड़ भारी है संसद में भी आजकल,
उसमें सुनता नहीं कोई लाचार की।
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कोई कानून जैसे ही लागू हुआ,
फिर तो आँखे हुई बंद सरकार की।
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देशहित में खड़े लोग खामोश है,
सुर्ख़ियों में कहानी अनाचार की।
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कुछ तो नेतागिरी की जागीर है,
बात करते बड़ी वे अधिकार की।
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#रजनी