राजनीति
“क्या बात है आज बडे खुश नजर आ रहे हो। ये चेहरे पर गुलाल क्यों लगा रखा है?
“तुम्हें पता नहीं विधानसभा के चुनाव का परिणाम आ गया है? ‘अपना उम्मीदवार’ जीत गया है। बस उसी जीत की खुशी में गुलाल खेलकर आया हूँ।’
‘अपना उम्मीदवार? ‘क्यों मजाक करते हो। तुम तो शायद उसके साथ थे ही नही। और न ही तुमने अपने परिवार के छत्तीस वोटों में से एक भी वोट उसके पक्ष में डलवाया।?,
‘तुम नही समझोगे। यह ‘राजनीति’ है। अब किसी भी क्या पता कि हमने वोट कहाँ डाले हैं। ये समझो कि जो जीत गया है बस उसी को अपना वोट दिया है। समझे?’
‘बहुत अच्छी तरह समझ गया।’
अशोक छाबडा
18081996