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4 Jun 2024 · 1 min read

राजनीति

राजनीति करने वालों को मिली है सारी छुट।

जिसको जितना मिल गया ले लिए सब लुट॥

कैसा कलयुग आ गया बदल गया ईमान।

गैरों को कौन कहे, अपने हो गए शैतान॥

काढ़े कसीदा द्वेष के, मन में राखे मैल।

बुद्धि विचार सब ताक पर, बन गए है बैल॥

नेता चाकर जनता भूप, मतदान के आने पर।

जैसे दादुर टर्र टराए, पावस ऋतु के आने पर॥

चाचा कहे भतीजे से चोरी करो सब मिल।

राजनीतिक विरोधियों का जबाब दो सब मिल॥

विष वमन का पुतला, अब बन गया इंसान।

गली – गली हर चौक पर, बिक रहा ईमान॥

दो सापों के झगड़े में, कैसे बचे अब मूसक।

दोनों की लत एक सी, है राजनीति के चुसक॥

बिन आहार बिन अर्थ के, कैसे जानु विकास।

नेता अफसर ठेकेदार मिल कर रहे सत्यानाश॥

देश में फैला कर कूड़ा, साफ करने की प्रपंच।

पिटे ढ़ोल निज कृत्य का, बना कर सुंदर मंच॥

भारत को भारत रहने दो, मत बनाओ इंडिया।

पुराने पापी सब मिलकर, खेल रहे हैं दांडिया॥

आँखों में है शरम नहीं, सब कुछ सत्ता धर्म।

जनता है अंध भक्ति में, नेता ना बुझे मर्म॥

Language: Hindi
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