राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे
राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे
प्रखर वक्ता इतिहास पुरुष, राजनीतिज्ञ महान थे
एक वोट से संसद में, उनकी सरकार गिरी थी
माल भी था उपलब्ध, मंडी पूरी तरह खुली थी
नहीं खरीदा बिकाऊ माल, अपनी सरकार बचाने
साफ सुथरी छवि और अपने आदर्श बचाने
हंसते हंसते विदा हुए, संसद का सम्मान बढ़ाने
सरकारें आएंगी जाएंगी,देश से नहीं बड़ा कोई
पूरे भारत ने देखा था,दुख से जनता रोई
राजनीति में शुचिता का, नहीं इससे बढ़ा उदाहरण है
ऐन केन कुर्सी पाने के,देश में भरे उदाहरण हैं
नहीं अटल सा दिखता आदर्श? गिरता स्तर कारण है
भारत मां लाड़ले सपूत को,कोटि कोटि नमन है
देश की माटी में लेते हैं, ऐसे आदर्श जनम हैं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी