राजनीति में लोकप्रियता का महत्व
भारतीय राजनीति हो या वैश्विक राजनीति सभी में एक खास बात सामने दिखती है और वह है लोकप्रिय चेहरा। राजनीति में लोकप्रिय चेहरा किसी भी दल, गठबंधन या फिर सरकार और सरकारी काम से ज्यादा महत्व रखता है। इसका उदाहरण प्राचीन समय से लेकर वर्तमान समय तक की राजनीति में बखूबी देखा एवं समझा जा सकता है।
किन्तु इसके साथ एक समस्या होती है कि जनता के बीच में यह लोकप्रियता को कैसे प्राप्त कीया जाय कि जनता आपके काम और सम्बन्धो से ज्यादा आपके चेहरे पर आपकी उपस्थित पर हर दम मोहित रहे। यह स्थित प्राप्त करना कोई आसान काम नही हे , इसके लिए भी कड़ी मेहनत और गहरी समझ की जरूरत होती है जिससे जनता के सामने एक विकल्प से ज्यादा एक काम करने बाला ,एक भाई ,एक बेटा एक साथी और एक नेता आदि की भूमिका को ज्यादा मजबूती से रखा जा सके और उनके मन मस्तिष्क में स्थान प्राप्त किया जा सके।
वैस्विक राजनीति में ऐसे कई नेता मिलतें है जिन्होंने सत्ता से ज्यादा जनता के दिलो पर राज किया जिसके कारण जनता ने उनके काम से ज्यादा नेता को तरजीह दी भले ही नेता के काम ने जनता की शांति को छीना हो या फिर तानासाही चलाई हो। किन्तु हर हाल में जनता ने उनकी मौजदगी में स्वयं को सुरक्षित समझा। भारत में भी आधुनिक राजनीति में ऐसे चेहरे मौजुद रहे हैं जिनका प्रभाव आज भी स्प्ष्ट रूप से राजनितिक भाषणों के साथ साथ समाज और प्रसाशन में दिखता है।
अगर भारत में स्वतंत्रता के बाद की बात करें तो इस क्रम में पहला नाम आता है ,देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का जिनकी लोकप्रियता इतनी ज्यादा थी कि उस समय के लोग अपने बच्चो के नाम जवाहर और उनकी पुत्री के नाम पर इंदिरा रखते थे और उनकी लोकप्रियता का ही परिणाम था कि कोंग्रेस से विभाजित होकर कई दल निकले किन्तु नेहरू की कॉंग्रेस को कोई भी नेता उनकी मृत्यु तक टक्कर नही दे पाया और नेहरू भारत के एक मात्र प्रभावी नेता बनकर रहे। उनके बाद यही लोकप्रियता पण्डित नेहरू की पुत्री इन्दिरा गांधी को प्राप्त हुई और भारतीय राजनीति में वो आयरन लेडी के रूप में मसहूर हुई और आज भी गाँव देहात में लोग अक्सर किसी भी बहादुर लड़की को इन्दिरा की पदवी देते मिल जाते है।
भले ही इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाकर देश को संकट में डाल दिया था किंतु उनकी लोकप्रियता कभी कम नही हुई जिसका सीधा उदाहरण तब दिखता है जब उनकी अंत्येष्टि में लोगों का हुजूम उमडा था। यह लोकप्रियता काम से ज्यादा लोगों में उनके विस्वास को लेकर ज्यादा पनपी थी कि उस समय की भारतीय जनता ने उन नेताओं को अपने दिल और दिमाग में बखूबी जगह दी।
जबकि हम सरदार पटेल,लाल बहादुर शात्री, जे.पी ,मोरारजी, रजीव गांधी, चौधरी चरण सिंह ,पी वी नरसिंहा, अटल विहारी वाजपेयी ,मनमोहन सिंह आदि नेता भी हुए जिन्होंने भारत देश को अपने सोच और कामों से बहुत आगे बढ़ाया किन्तु ऐसी लोकप्रियता नही प्राप्त कर सके कि लोग उनके फेस को फ्रेम करबाते। और एक समय तो ऐसा आया था कि लगने लगा थी कि अब कोई नेता इतनी लोकप्रियता हासिल ही नही कर पाएगा कि लोग उसे अपने दिलों में तस्वीर बनाकर जगह दें।
किन्तु वर्तमान समय में सन 2014 के लोकसभा चुनावों ने इस तथ्य को झुठलाकर पुनः एक ऐसे नेता को उभारा कि लोगो ने उसे उसकी पार्टी से ज्यादा उसके चेहरे, उसकी भाषा और उसके व्यक्तित्व को महत्व दिया। देश की जनता ने उस चेहरे के सामने किसी को टिकने ही नही दिया और ना टिकने देती है। ऐसा लगता कि इस लोकप्रियता ने देश की राजनीति को इसी चेहरे पर ले जाकर रोक दिया है। और जनता को दूर दूर तक इस चेहरे को टक्कर देने बाला कोई विल्कप नजर नही आता। यह बात सन 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से लगातार सत्य हो रही है। जनता को कोई फर्क नही पड़ता कि किस पार्टी से कौन खड़ा हुआ है या काम हुआ है या नही जनता को अगर फर्क पड़ता है तो केबल इस बात से कि उनका चहेता नेता उनके सामने हाथ फैलाकर वोट माँग रहा है और उनको उसका हाथ मजबूत करना है।
सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी एक तरफ हो भी जाय फिर भी इस चेहरे का विकल्प फिलहाल कोई नजर नहीं आता। और यह चेहरा है देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी का। किन्तु इस चेहरे की फेस वेल्यू को बनाने में वर्षो की मेहनत, संघर्ष , देश भक्ति, सैकड़ों सेक्रिफिकेशन और समाजिक समझ के साथ साथ समाज से जुड़ने की चाहत आदि का निचोड़ है। और जो भी नेता इस निचोड़ को जनता के सामने रखेगा फिर चाहे कोई भी मुल्क क्यों ना हों वहाँ की जनता अपने नेता को यही सम्मान हमेशा देती रहेगी। देश के युवा नेताओं को ऐसे लोकप्रिय नेताओं से सीखना चाहिए कि कैसे जनता से जुड़ा जाता है कैसे उनकी सोच को अपनी सोच से मिलाया जाता है।
अतः कभी कभी चेहरे इतने बड़े हो जाते है कि अन्य बातें उनके सामने सब फीकीं पड़ जाती है और वैस्विक स्तर पर देश के नाम का प्रारूप बन उभरते है।