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14 Jan 2022 · 2 min read

राजनीति में दल बदलू की प्रजाति (हास्य व्यंग्य)

राजनीति में दल बदलू की प्रजाति (हास्य व्यंग्य)
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समूचा राजनीतिक परिदृश्य दल बदलुओं से भरा पड़ा है । जिस पार्टी में चले जाओ ,एक ढूंढोगे चार मिल जाएंगे । वह चारों अपनी एक चौकड़ी बना कर बैठ जाते हैं और पांचवें को अपने गुट में शामिल करने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं । स्थिति यह है कि पार्टियों के मंच पर पच्चीस प्रतिशत स्थान दल बदलूओं के लिए सुरक्षित हो गया है। दल बदलू को विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। जिस पार्टी में दल बदलू शामिल होता है ,उस पार्टी में उसका फूलों का हार पहना कर स्वागत किया जाता है । जैसे कोई बहुत बड़ा तीर मार कर यह आए हों या इन्होंने कोई महान कार्य किया हो। जिस पार्टी से दलबदलू जाता है ,उस पार्टी के भीतर एक सन्नाटा छा जाता है । पार्टी से कुछ कहते नहीं बनता कि यह व्यक्ति जो कल तक अच्छा था ,आज बुरा कैसे हो गया ?
दलबदल एक प्रकार की रासायनिक प्रक्रिया है जो दल बदलू नामक राजनीतिक प्रजाति के भीतर चुनाव आते ही उमड़ने-घुमड़ने लगती है। जैसे बरसात में मेंढक टर्र- टर्र करते हैं ,वैसे ही चुनाव के मौसम में दल बदलू टर्र-टर्र करना शुरू कर देते हैं । जिसे देखो इस टोकरी से उस टोकरी में कूदकर जा रहा है। पाँच साल से ज्यादा किसी एक पार्टी में टिके रहने पर दल बदलू को परेशानी होने लगती है । उसकी आत्मा उसे कचोटती है ,धिक्कारती है ,आवाज देती है -चल उठ, दल बदल । कब तक एक ही पार्टी में पड़ा रहेगा ? छोटी सी जिंदगी है । जब तक चार-छह बार दलबदल न कर लो चैन से मत बैठना । जीवन का यही तो लक्ष्य है। संभावनाओं को टटोलो और एक दल से दूसरे दल में कूद जाओ ।
सभी पार्टियों में दलबदलू आपस में एक दूसरे से संबंध रखते हैं । मिलना जुलना जारी रहता है । भले ही आज उनमें से कोई भी किसी भी दल में हो ,लेकिन मूलभूत रूप से वह दल-बदलू ही तो हैं ! उनका मूल स्वरूप दलबदल में निवास करता है । उनकी आत्मा दलबदल नामक शाश्वत-भाव में विलीन हो चुकी है । उनके लिए दलबदल एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । क्या फर्क पड़ता है -इस पार्टी में रहो या उस पार्टी में चले जाओ ? वह दार्शनिक मनोभाव को प्राप्त होने वाले जीव हैं। सब पार्टियों को एक दृष्टि से देखते हैं । जिसमें मौका मिले, घुस जाओ । पद पकड़ो ,टिकट मांगो ।जहां मौका लगे ,कुर्सी पकड़ कर बैठ जाओ। यही जीवन है । यह थोड़े ही कि एक पार्टी में पड़े-पड़े विचारधारा के नाम पर पूरी जिंदगी बर्बाद कर दी ।
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लेखक : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451

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