राजनीति में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या मूर्खता है
राजनीति में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या मूर्खता है और क्या बुद्धिमानी। फर्क इस बात से पड़ता है कि जनता के बीच क्लिक क्या करता है। अगर यह मूर्ति क्लिक हो गई तो यह मूर्खता बहुतों की अकल पर भारी पड़ेगी। वैसे भी आजकल पब्लिक को अकल वाली चीजें कहाँ पसन्द आ रही हैं।
—मनोज कुमार पांडेय के कहानी संग्रह ‘प्रतिरूप’ की शीर्षक कहानी से