राजनीति:- बदलती निष्ठा बदलती विचारधारा
पार्टी बदले, बदले नेता
क्षण में बदल जाये विचारधारा
ढंग न बदला राजनीति का
तो फिर क्या बदला ?
चुनाव का शोर
कार्यकर्ता-समर्थक ढोते विचारधारा
नेता झट पार्टी बदले, बदले निष्ठा
नारे बदल जाते है झंडे बदल जाते है
नीति रही जैसी की तैसी
तो फिर क्या बदला?
जातिवाद घटे न तिलभर
द्वेष राग का आकार बढ़ें
राजाओं रानियों ने सिद्धांत नीति को
निज अनुरूप गढ़ा
पार्टी बदले, भाषण बदले
बदल गई भाषा
व्यवहार रहा जैसे का तैसा
तो फिर क्या बदला?
बंद मुट्ठियों में जिन हाथों
थी सूबे की सत्ता
नाच रही उनके ही आँगन
बदले अपना रूप
मोहरे बदले, चालें बदलें
बदल गई बाजी
दाँव लगी निष्ठा और विचारधारा की,
तो फिर क्या बदला?