राजनीति =फर्ज निभाने राज नेता लेते हैं संकल्प ।
राजनीति
=फर्ज निभाने राज नेता
लेते हैं संकल्प ।
प्रजा पालक बन हितेषी
करते हैं तर्क।।
कुटनीतिज्ञ बनकर अब
चलते हैं कुछ चाल।।
देश द्रोही काम कर अब
बन जाते है काल।।
सत्ता लोभी हैं लालची
पद चाहिए श्री मान।।
करना पड़े जो कुछ भी
छल छिद्र का आदान।।
नीचा दिखाने पक्ष को
आतंक लिया हथियार।
जगह जगह मार पिट
उकसाने में होशियार।।
राजनीति का फर्ज भुल
कुटनीतिज्ञ है भरमार।
सत्तापक्ष को झुकाने अब
लाते हैं अविश्वास ।।
एक दुजे पर लगा आरोप
बच निकलना काम।
राजनीति अब दलदल बना
सज्जन करो आराम।।
न होगी राजनीति तुमसे
गद्दारों का है काम।
भ्रष्टाचारी, आतंकवादी का
पुरा पुरा अधिकार ।।
कवि विजय तो लिख दिया
लेखन अपना विचार।
राजनीति तो भुल बैठा नेता
कुटनीतिज्ञ है भरमार।।।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग