#कुंडलिया//राजनीति की चालें
देखी मैंने आज भी , राजनीति की चाल।
समीकरण सब देखके , टिकटें मिलें कमाल।।
टिकटें मिलें कमाल , जाति धर्म क्षेत्र हावी।
मिटे नहीं यह भेद , और भी बने प्रभावी।
नेता चुनिए खास , जाति की कैसी शेखी।
बगुल हंस सम रंग ,अलग नीयत पर देखी।
पार्टी का रुख देखिए , नेता की पहचान।
कड़ी परीक्षा मानिए , जीतो पर मैदान।।
जीतो पर मैदान , हृदय रखिए सच्चाई।
त्यागो तुम निज स्वार्थ , तभी तो मिले भलाई।
पाँच साल की वाट , लगी तो खेला दर्टी।
पर होगा इक जोश , सही चुनली जो पार्टी।
होते हैं बहरूपिये , वादें जाएँ भूल।
मौका देकर आज तुम , देना मत जी तूल।।
देना मत जी तूल , अगर बहलाने आएँ।
अबके गलती माँग , फिर से गर बरगलाएँ।
सुन प्रीतम की बात , नहीं झूठे सच बोते।
गलती जाएँ समझ , वही तो मानव होते।
##आर.एस.प्रीतम