राजनीति का बदला स्वरूप
महाविद्यालय के शैक्षणिक सत्र ,
दौरान राजनीति से मुझे बहुत प्यार था ।
उसका ज्ञान और जानकारी ,
एकत्र करना काफी रोचक लगता था ।
यह विषय मेरे लिए नई प्रेरणा,
और उत्साह भर देता था ।
भविष्य में इसी से राह बनायूं,
अर्थात एक आदर्श राजनेता बनने का मन था ।
मगर ज्यों ज्यों देखा दुनिया का रंग ,
समझ न आया की यह असली था ,
या जो किताबों में पढ़ा वोह असली था ।
उसमें नई थी कोई षड्यंत्र की बू,
ना कोई छल कपट और न अपशब्दों का प्रयोग था।
ना ही एक दूजे पर तोहमत लगाना ,
ना ही उनके लिए गरीब किसान / मजदूर मोहरा था।
फिर यह सब क्या है ?
और क्यों है ?
महिलाओं के लिए यह सुरक्षित नही है ।
समाज सुधार ,देश की प्रगति सब ढोंग हैं।
असंख्य अपराधों की शरणदात्री है यह राजनीति ।
आदर्श राजनीति का उदाहरण दिखता ही नही ,
जो मैने किताबों में पढ़ा था ।
गंदी राजनीति है छाई देश पर ,
तो फिर मेरे लिए इससे दूर रहना ही बेहतर था ।
तो इस प्रकार सबसे प्यारा विषय ,
मेरे लिए बुरा साबित हुआ ।
अब तो इस पर चर्चा करना भी मेरे लिए ,
गुनाह हो गया ।
जो कभी मुझे बहुत अजीज था ।