राजनीति और नारी सम्मान
यह राजनीति की दुनिया ,
औरतों के लिए सुरक्षित नहीं ।
यहां भावनाओं को लगे ठेस,
खोना पड़े मान सम्मान कहीं ।
फिल्म जगत की भांति ,
राजनीति भी ऐसा नशा ।
जितना डूबते जाओगे ,
ना मिलेगी कोई डगर न दिशा ।
जितनी इसकी ऊंचाई है ,
उतना ही दूर अपनों का साथ ।
बिछड़ कर इनसे कटी पतंग सी,
नारी पड़ जाति किसी और के हाथ ।
नाम और यश तो मिलता बहुत यहां ,
मगर साथ में बदनामी भी मिलती बहुत यहां ।
पैने कटाक्ष और अपशब्द ,
और भयंकर विरोध यहां ।
इस पर भी शत्रु को संतोष न हो ,
साजिशन ले सकता है जान भी ।
मगर जान से भी जायदा जरूरी होती ,
जा सकती है एक नारी की लाज भी।
अतः महिलाओं से है निवेदन ,
तुम शिक्षिका बन जाओ या समाज सेविका ।
तुम जीवन में चाहे जो कुछ बन जाओ,
मगर न बनना कभी नेता ।
यह सुरक्षित नहीं तुम्हारे जीवन के लिए ऐसी जीविका ।