“राग द्वेष से सुदूर चले”
चलो निदारुण शब्दों की
भींड से निकल कर ,
निनादित मौन के संग चले,
छोडकर गुंफित सृजन को
स्वच्छ निहंग व्योम के तले ,
विहग संग धरा से उठ कर
राग- द्वेष से सुदूर चलें |
…निधि …
चलो निदारुण शब्दों की
भींड से निकल कर ,
निनादित मौन के संग चले,
छोडकर गुंफित सृजन को
स्वच्छ निहंग व्योम के तले ,
विहग संग धरा से उठ कर
राग- द्वेष से सुदूर चलें |
…निधि …