रागनी नंबर 34 : खामे खां की मैं होरी आज , हर इंसान में..!!
दो दिन का मेहमान रे बन्दे, इस जगत जिहान में,
खामे खां की मैं होरी आज , हर इंसान में..!!टेक!!
बणया रै फिरै छैल छबीला, एक दिन होज्यागा ऊंट-मटीला।
जिसनै कह कुटुम्ब कबीला, जा छोड़ै श्मशान में ..!!१!!
थोड़ा सा तूँ करै नै विचार, ना तैं लूटले-गा यो संसार।
सबतै पहलयां तेरे मित्र-यार, तनै छोड़ै स्यात हाण में..!!२!!
घणे जा लिए गर्दिश में फंसकै, बैठ गए मोह माया में धंसकै।
तृष्णा पापण नै गेरे डसकै, पड़या फर्क ईमान में ..!!३!!
कपीन्द्र शर्मा गुरु की बाणी, समो एकसी ना सदा थ्याणी।
मनजीत पहासौरिया गाथा गाणी , रह हर के ध्यान में..!!४!!!
रचनाकार:- लेखक मनजीत पहासौरिया
फोन नं०:- 9467354911, 7988728037